मंज़र
मंज़र
तोड़ दो सारी जंजीरे दिमागी गुलामी की
चलना हो तो आजादी के साथ चला करो
कौन कहता है दहशतगर्दी ने झेंडे गाड़ दिए
तुम सदा अपने ईमान के साथ चला करो
सियासत है गूँगी बहरी बेवफ़ा तमाशाई
तुम आवाज की बुलंदी के साथ चला करो
निकलो तिलिस्म के जाल से बाहर
हक की लड़ाई के खातिर कंधे से मिलाकर कंधा साथ चला करो
मत करो तानाशाही का समर्थन ऐं किस्मतवालो
चलना हो तो संविधान के साथ चला करो
हुकूमत है बंजर जमीन नकाबपोश खुदगर्ज
तुम हरीभरी लहलहाती फसलो के साथ चला करो
कितना लहु बहा होगा 'नालंदा 'सुर्ख लिबास बता रहा
तुम खंजरों की दीवानगी के साथ चला करो
खुशगवार मौसम को मत बनाओ पतझड़ ''
तुम सिर्फ बसंत के साथ चला करो!