मनमोहना
मनमोहना
नस नस में हो कन्हैया तू बसा मेरे।।
सर पर रखा हाथ गुन मैं गा रहा तेरे।।
मन मोह कर के तू हमें किस और ले आया।
ऋषि संतों ने, सभी ग्रंथों ने मनमोहना गाया।
मन से मिला है साथ गुन में गा रहा तेरे।।
नस नस में हो कन्हैया तू बसा मेरे।।
जिंदगी की हर सांस में बसता है तू ही तू।
प्यार की हर आस में रसता है तू ही तू।
हर छवि में हो कन्हैया तू बसा मेरे।।
नस नस में हो कन्हैया तू बसा मेरे।।
चिंतायें सब की हर प्रभु, अपनी सी मस्ती दें।
पार हो भव से सदा, एक ऐसी कश्ती दें।
कण कण में हो कन्हैया तू बसा मेरे।।
नस नस में हो कन्हैया तू बसा मेरे।।