मंजिल
मंजिल
सदा मिली है मंजिल उसको,
जिसने धैर्य नहीं छोड़ा।
त्याग परिश्रम सत्य सजगता,
से जिसने नाता जोड़ा ।।
आलस करने बाला कोई,
पहुंचा कभी न मंजिल तक।
हानि लाभ सबको सहता जो,
वो ही पहुंचा मंजिल तक।।
बुद्धि विवेक हृदय में भरकर,
समय देख जो काम करे ।
मंजिल सदा मिले उसको जो,
मातु पिता गुरु कहा करे ।।
अपनी मेहनत के संग में जब,
मिलता प्यार और आशीष ।
उन्नति होती मिलती मंजिल,
रक्षा करते है जगदीश ।।