मंजिल दरवाजा खटखटाएगी
मंजिल दरवाजा खटखटाएगी
सिर्फ कुछ पल सोचने से तूँ मंजिल नहीं पाएगा
मंजिल दस्तक देने आएगी अगर चलता जाएगा
हारकर भी अगर जीत पाने का जुनून जगाएगा
हारते हारते एक दिन जीत को भी गले लगाएगा
रोज करता जा कोशिशों के हथौड़ों की बरसात
जरूर होगी अपनी मंजिल से तेरी भी मुलाकात
अपनी किसी कमजोरी पर रहम कभी ना करना
अटल रहना उसूलों पर भले मंजूर हो तुझे मरना
हर कोशिश हर बार तुझे नई नई राह दिखाएगी
तेरी कोशिश ही तुझे मुश्किल का हल दिलाएगी
मेहनत को इबादत समझ ये रंग नया खिलाएगी
मंजिल खुद आकर तेरा दरवाजा खटखटाएगी