मन में घमंड का भाव
मन में घमंड का भाव
ना ज्ञान की कमी धरा पर, ना है धन का अभाव।
फिर कैसे आ जाता है? मन में घमंड का भाव।।
चिंतन -मनन में मन को लगाना, प्रभु से करना प्यार ,
कभी नहीं आएगा, मन में घमंड का भाव।।
देखो सुरदास आँखों बिन, ही श्रीकृष्ण को देख लिए,
कृष्ण के आशीर्वाद से बाल-लीला का सटीक उल्लेख किए।
भक्ति, साधना, प्रेम की सरिता, जीवन में चहुं ओर किए,
सुख या दुःख हो भक्ति करो, सुरदास जी ये संदेश दिए।
भक्ति भाव में जीवन बीता, घमंड का हुआ ना घाव।।
कभी नहीं आएगा, मन में............................।।
वाल्मीकि जी रामायण में राम चरित्र बखान किए,
सुंदर रचना कर डाली, हमको संदेश महान दिए ।
वन में रह कठोर तपस्या, मानवता के लिए किए ,
भक्ति-भाव, सेवा के बल पर आदि कवि पदवी पाए।
घमंड उनको छू भी ना पाया, मिला परम सुख छाव।।
कभी नहीं आएगा, मन में............................।।
कमलेश तू भी भक्ति भाव कर प्रभु से नाता जोड़ ले,
मानव मूल्य अपनाओ और तुम कुरीतियों को छोड़ दे।
सुख-दुख जीवन रूपी गाड़ी के ये दोनों पहिए हैं जी,
जीवन में आते रहते हैं, इनकी चिंता छोड़ दे।
इन्हीं सुंदर कर्मों से होगा, सुंदर चीत-स्वभाव।।
कभी नहीं आएगा, मन में............................।।
