मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रहमचारिणी रूप बहुत ही भाता है ।
सुमिरन मात्र से दुख दूर हो जाता है।।
सब भक्तों को रुप तेरा ये सुहाता है।
सुमिरन मात्र से दुख दूर हो जाता है।।
मां नवरात्रि में तेरा दूसरा स्वरुप है।
शिव प्राप्ति के लिए तपस्या का रूप है।
तप-साधना का महत्व ये है बतलाता,
महादेव शिवशंकर को ये रूप भाता।
हम भक्तों को साधना- तप सिखलाता है।।
सुमिरन मात्र..............................।।
मां ब्रम्हचारिणी को सफेद रंग है बहुत प्रिय।
नवरात्रि का दूसरा दिन पावन सविनय ।
मां ब्रहमचारी का व्रत रखता पूजन करता,
निष्कंटक जीवन जीता और सुख पाता।
शिव-शक्ति और मां-भक्ति वह सब पता है।।
सुमिरन मात्र..............................।।
मां इस भक्त का छोटा एक निवेदन सुन लो।
इस धरती से कष्टों का मां हरण तु कर लो।
ये हैं तेरे भक्त सभी , तेरे ही पुत्र मां ,
इन अपने पुत्रों का जीवन सुखमय कर दो।
माता, पुत्र का ममता यही तो कहलाता है।।
सुमिरन मात्र..............................।।
