मां कात्यायनी
मां कात्यायनी
षष्ठम दिवसे कात्यायनी का आगमन होता है।
महिषासुरमर्दिनी का आज, पूजन होता है।
कोटि - कोटि कंठों से जय मां गुंजन होता है ।
महिषासुरमर्दिनी का आज पूजन होता है।।
महिषासुर का अत्याचार जब बढ़ा धरा पर।
त्राहि -त्राहि जब मानवता चीख रही धरा पर।
ब्रह्मा , विष्णु , महेश तीनों ने अपना अंश दे,
माता का भौतिक स्वरूप ले आया धरा पर।
मां का रूप श्रृंगार अनोखा नूतन होता है ।।
महिषासुरमर्दिनी का आज...........।।
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हरित-बसंती रंग तुम्हें मां ख़ूब सुहाता है।
तेरी महिमा वेद , शास्त्र , ज्ञानी गाता है ।
कुंवारी कन्या के लिए तेरी पूजा विशेष है।
महिषासुर अब गली-गली में बदला वेश है।
मां तेरी शक्ति कन्या को समर्थ बनाता है।।
महिषासुरमर्दिनी का आज...........।।
ऋषि कत्यायन ने मां की पहली पूजा की ।
इसलिए मां की कत्यायनी नाम सूझा दी ।
भक्तों के सारे दुख -दर्द को दूर करो मां ।
कमलेश को अपनी भक्ति तू दे दो ना मां।
आज मां कत्यायनी का भक्ति भजन होता है।।
महिषासुरमर्दिनी का आज...........।।
