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Ravinder Raghav

Romance

4.0  

Ravinder Raghav

Romance

मन करता है कि फिर चला जाऊॅं

मन करता है कि फिर चला जाऊॅं

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मन करता है कि फिर चला जाऊॅं

उन गलियों में जहाॅं कभी तेरा इंतजार किया करते थे

तुम्हारी एक झलक पाने को घंटों बेक़रार हुआ करते थे

तुम्हें एक पल देख कर खुशी से झूम उठा करते थे!


मन करता है कि फिर चला जाऊॅं

उन गलियों में जहाॅं कभी तुम मिला करते थे

तुमसे प्यार की बातें किया करते थे

आंखों ही आंखों में जज़्बात बयां किया करते थे!


मन करता है कि फिर चला जाऊॅं

उन गलियों में जहाॅं कभी तुम रूठ जाया करते थे

तुम्हें मनाने की कोशिश किया करते थे

फूलों का गुन्चा दिया करते थे!


मन करता है कि फिर चला जाऊॅं

उन गलियों में जहाॅं कभी तुम मोहब्बत किया करते थे

तुम्हारे साथ प्यार के लम्हे बिताए करते थे

एक दूजे के होने की कसमें खाया करते थे!



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