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Archana kochar Sugandha

Inspirational

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Archana kochar Sugandha

Inspirational

मन की प्यास

मन की प्यास

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बंद कपाटों से भी वो सुन रहे थे अरदास 

भक्तजनों से रू-ब-रू होना, उन्हें भी नहीं आ रहा रास।


दाँव पर लगी हैं बेशकीमती जानें 

जहान की फिक्री में घूम रहा है इंसान।


दौलत का नशा बुझने नहीं देता मन की प्यास

आधी रोटी से भी जग जाती है जीवन जोत की आस।


सपनों के पंखों में भी भरेंगे उड़ान 

थम जाने दो यह मंजर आँधी और तूफान।


कितने मुश्किल दौर गुजर गए हैं जिंदगी के

पलक झपकते यह दौर भी गुजर जाएगा। 


मिल बैठ कर अमृत जाम झलकाएंगे 

मोद के खनकते प्यालों से मन की प्यास बुझाएंगे।


 


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