मन की पाती
मन की पाती
माँ तुझे लिखती हूँ मैं मन की पाती
सारे जज़्बात, सारी व्यथा, सारी दिल की कहानी।
तुम सा नहीं जहाँ में कोई इतनी बात है जानी
तू ममता की मूरत, तू ही परियों की कहानी।
तुम ही हो जो हर पल मेरा ढांढस बढ़ाती,
हर खुशी, हर गम में, मेरा साथ निभाती।
मेरी आत्मा तुमसे हे माँ, तुमसे ही हर रंग
तुम ही विश्वास हो मेरा तुमसे ही जीती जंग।