मन की काल्पनिक आकांक्षा
मन की काल्पनिक आकांक्षा
जटिल संरचना ब्रहमांड में उत्तम कृति,
जाकर हर कोष स्वयं जीव के समान है।।
कोशिका स्वयं करें निर्धारित कार्यभार,
नियंत्रित हो मस्तिक से जीवों में जान है।।
इसके दो भाग नाम चेतन अरू अवचेतन,
चेतन में चेतना है जैसा कि नाम है।।
जो कुछ भी दिख रहा हो रहा बदलाव ,
चेतन के निर्णय की शक्ति का काम है।। 1
चेतन के हाथ में भविष्य और भूतकाल ,
तात्क्षणिक निर्णय का सही अनुमान है।।
ज्ञान अज्ञान में इसको पता है भेद,
डर क्रोध कल्पना में करता उड़ान है।।
भ्रम हास्य दुख में देता है संताप,
झूठा है क्या साच इसकी पहचान है।।
मानव शरीर में बाहरी नियंत्रक,
दृष्टिगत संसार में उपस्थिति का नाम है।।2
अवचेतन मस्तिष्क का दूजा विशिष्ट गुण ,
चेतन की चेतना ही इसकी खुराक है।।
नियंत्रक शरीर में हर नब्ज हर कोष,
हृदय की धड़कन पर इसकी ही धाक है।।
सोना या जागना दैनिक का हर काम,
जैसा संरक्षित वही होता प्रसार है।।
ज्ञान अज्ञान में इसको नहीं है भेद,
नहीं झूठ सच की कोई दरकार है।।3
कल्पना यहां नहीं नहीं कोई भ्रम जाल,
यह कोरा कागज बिल्कुल अनजान है।।
इसको पता नहीं चेतन ने क्या दिया,
यह शुद्ध त्रुटि रहित पूर्ण करें काम है।।
अनवरत संचय करता है यह तथ्य,
सोता शरीर नहीं इसको आराम है।।
पूरी कायनात में अनुपम यह कृति,
लगातार संकलन ही अवचेतन नाम है।।4