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Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance

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Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance

मन का फैसला

मन का फैसला

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हमको नहीं रहती हमारी ही खबर अब शाम को

हम क्यूँ नहीं भुला कभी पाते तुम्हारे नाम को।


हो राह में गर अंधेरा तो दीप जलाना पड़ेगा

छोड़ा नहीं जाता अधूरा सुन किसी भी काम को।


जब से चढ़ा तुमको मोहब्ब्त का नशा ओ बेख़बर

हैं आरजू या ज़ुस्तज़ु क्या नाम दु इस जाम को।


हो आप तो बस आप ही बेबस थोड़े मजबूर भी

तुम ही बताओ क्या हक़ नहीं पूछने का आम को।


मन फैसला जो भी करेगा लाजबाव ही करेगा

ना रोकेगी तुमको "नीतू" आदिल हुए इस गाम को।


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