मकर संक्रांत
मकर संक्रांत
भारत में विविधता में एकता,
फिर भी हर क्षेत्र के त्योहारों में भिन्नता
त्योहारों के उद्देश्य में समानता,
मनाने के कारण में नहीं कोई भिन्नता
फिर भी नामों और विधि में विविधता,
हर क्षेत्र के पर्वतिथि में दिखती असमानता
हर पर्व की कृषि से ही निकटता,
इसीलिए देश के किसानों में समानता
मकर संक्रांत पर्व की विशेषता,
देश मनाने के तिथि में निश्चितता
नई फसल आने के खुशी की प्रगटता,
देश का किसान मकर संक्रांति को मनाता
पंजाबी किसान लोहड़ी पर्व के नाम से मनाते,
उत्तराखंड में दान पर्व पर दान बांटते
राजस्थानी सुहागन चौदाह सौभाग्य सूचक वस्तु चुनती,
सास को बायना और भेटों को दान में बांटती
बदले में सास और भट का आशीर्वाद लेती,
खुशी, उत्साह से सहेलियों के साथ गाती -झूमती
बंगाल में हिंदू गंगा सागर में पावन स्नान लेते ,
गंगा का सागर से मिलन को याद करते
तमिलनाडु में पोंगल पर्व को चार दिन मनाते,
अंतिम दिन मिट्टी के बर्तन में खीर पकाते
महाराष्ट्र में सभी बच्चे, पुरुष, बुजुर्ग,
तिल-गुड के इंतजार में महिलाओं को ताकते
मकर संक्रांत से सूर्यदेव उत्तर दिशा की और भागते,
आनेवाला ग्रीष्म ऋतु की और संकेत कराते
अच्छी फसल की वजह से गुनगुनाते,
किसान, सुहागन ,देशवासी ख़ुशी से झूमते
देशवासियों के लिए मकर पर्व है फील गूड,
क्योंकि महिलायें खिलाती तिल-व्यंजन और तिल गूड
महाराष्ट्र की सुहागन महिलायें विशेष परंपरा को निभाती,
अपने पति का नाम महिलाओं में उखाना लेकर लेती
राजनैतिक दलों को भी मकर पर्व उपदेश देता,
आम जनता के भलाई का संकल्प भी याद दिलाता।