मजदूर और महामारी
मजदूर और महामारी
1-ये कौन है
जो महामारी में भुखमरी से,
अपनो से दूर मरने से डरते हुए,
घर जाने को बस पर चढ़ते
मज़दूर को लात मार रहा है?!
सुना है इंसानों के अंदर तक
संक्रमित कोई अफसरी है,
वायरल हो गई है उसकी ये लात।
मुझे लगता है इस संक्रमण का भी
एक टीका जल्द से जल्द इज़ाद होना चाहिए
मगर फिलहाल अफसरी को एक चेतावनी मिली है
और मजदूर को अखबारों की
बड़ी बड़ी तस्वीरों में दर्ज़
वही जिल्लत
ख़ैर,कोई नई बात छपी है क्या?!
2- एक मजदूर अपने गांव में
फिर मशहूर हो गया है।
पहली बार गांव से वो शहर गया था
तब बड़ा नाम हुआ थादूजी बार शायद जब पहली पगार भेजा था
तब डाकिए ने गुण गया था
उसे इक्यावन रुपया शगुन मिला था।
तीसरी बार अब कुछ ज्यादा मशहूर हो गया है
सुना है महामारी से बचते बचाते,
हजारों मील पैदल चलते चलते
अपने गांव के बाहर दम तोड़ गया है।
वो आखिरी बार फिर मशहूर हो गया है,
महामारी का किस्सा हो गया है।
3- महामारी से अपने दम पर लड़ता
एक थैला है सीमेंट के कट्टे का।
उसमे एक पानी का पीपा, एक थाली,
एक गिलसिया, एक तवा, एक मिस्टिन का डब्बा
तीन जोड़ी मर्दाना कपड़ा,
एक बोरा एक सत्तू का डब्बा, सौ-दो सौ रुपया
एक हरे रंग की प्लास्टिक की गेंद,
नई साड़ी और टिकुली का पत्ता है।
ये जब से कांधे पर चढ़ा है,
कई किलोमीटर बार-बार उतरा है।
जब तक अपने ठिया पर न पहुंचे
ये लावारिस ही लगता है।
4- वो सब हर जगह
मजदूर-मजदूर चिल्ला रहे है,
उनके दुख को बता रहे है,
बढ़ चढ़ कर दिखा रहे हैं।
लेकिन कूलर-ऐसी में
रहने वालों को।
5- कोई घर को निकले मजदूरों को
रात भर सड़कों पर ढूंढ कर
उनकी इस हालत का हिसाब
सबसे रुंधे गले से मांगता है।
लेकिन सर पर
कई दिनों से अड़ी धूप का
हिसाब रखने के लिए
उनमे से कोई भी एक क्यों
तपती सड़क परसाथ चलता नहीं दिखता है।
6- सुना है कि एक सच्चा कहलाता
असल पत्रकार हुआ करता है
आजकल होम कुवारेंटाइन हो कर भी
अपने चिर परिचित अंदाज में बैठा,
प्रॉम्प्ट पढ़ता, प्राइम टाइम पर
उनकी बहुत बात करता है।
उनकी, जो हर तरफ फैली महामारी में
घबरा कर सड़कों पर पैदल, बसों में ट्रकों,
लोरियों में हजारों किलोमीटर दूर
अपने अपने घरों को निकले हैं।
अक्सर कहता रहता है
'चौकीदार, कमाल है न !'
