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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

मिट्टी से प्रेम

मिट्टी से प्रेम

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राष्ट्रहित पर राष्ट्रवादी

राष्ट्र वतन पर राष्ट्रप्रेम!

मिट्टी में मिट्टी पवित्र

मिट्टी का है ये खेल!!


इस मिट्टी के लिए मिटे कितने

कितने मिट्टी खातिर गए जेल!

फांसी खाई गोली मारी लगी आग

मिट्टी के कर्ज में जुल्म लिए झेल!!


( मां ने बेटे से कहा)


धरा भूमि को लिय चूम

 तेरे माथे लगी मिट्टी है!

 मिट्टी भेज रही घर की

जो तेरे हाथ में चिट्ठी है!!


गम ना करना याद में आंसू भाना मत

दुश्मन हो सामने घबराना नहीं

कभी पीट पूछे जाना मत!

मां की याद दुलार प्रेम का चलित तुझे कर देगा!

तुझे मां भारती की कसम

 दुश्मन में गोली तू भर देगा!!


मां भारती का सर नहीं झुकने देना

दुश्मन का सर मेरे कदमों में रख देगा!!


दुश्मन को फाड़ दिखाना है

कर देगा तू मां की प्रतिज्ञा पूरी!

तुझे भेज कर थोड़ी दुखी रही थी

कहीं कहानी रह ना जाए अधूरी!

मेरे आंगन में फूल खिलेगा तेरा

बची हुई कहानी करेगा वो पूरी!!


जब छोटा था तू मिट्टी में लिपटा था!

 कभी हाथ पे कभी सर पे रखता था!

चुपके चुपके मुंह में मिट्टी रखता था!

खूब हटाती मिट्टी से तुझे कभी डर नहीं लगता था!! 


आज उसी मिट्टी में लिपटा तू है

 कभी कभी हंस लेती हूं। 

कौन तुझे वहाँ डांट रहा है

यही सोच फिर रो लेती हूं!!


(सीमा पर युद्ध छिड़ गया)


 इस बेटे को गोली लग गई

अंदर से बोली बोली!!


है पवित्र जहां की मातृ भूमि

इस भूमि को नमन मेरा है!

मिट्टी मिट्टी बोल रही भारत मां

आईं हूं मैं इस पार ये देश तेरा है!!


((गोली बोल रही ))

((अंदर क्या क्या देखा मैंने))


खून का हर एक कतरा 

वन्देमातरम बोल रहा था!

खाकर गोली सूरत भोली

शेर की भांति डोल रहा था!

तनिक नहीं घबराया रण में!

दुश्मन की खोपड़ी खोल रहा था!!


कुछ दूर चल कर वो रुक गया!

मानो जैसे आसमान झुक गया!!


 उसकी धड़कने तेज होने लगी!

 आंखें उसकी बन्द होने लगी!!


तब उस को मां की याद आई!


सर रखूँ कहा अपना 

आंचल तेरा खाली है!

करती दुलार थी आंखें चार थी

 जा रहा हूं छोड़ कर

कोक में जिसे तू पाली है!!


पन्ना कोरा रह गया मेरा

कुछ लिख ना पाया हूं!

जैसे गया था घर से तेरे!

वैसे लौट कर घर नहीं आया हूं!!


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