मिथ्या अभिकथन राजनीति बंद
मिथ्या अभिकथन राजनीति बंद
हर तरफ तमतमाता तम है,
मिथ्या वादों में भ्रष्टाचारी तमंग है,
राजनीतिक अंधभक्त सोहर सा गाते हैं,
एक दिन हालात सभी के डगमगाते हैं,
सिंधु डोल उठेगा सूनामियां आयेगीं,
बन्धु बोल उठेगा क्रांतिया आयेंगी,
मेरे शब्द मेरा अभिदेश ग्रन्थ हैं,
यही मेरा अभिकर्तव्य यन्त्र है,
अभिक्रान्त की अभिक्रान्ति करो,
अभिकल्प करो अभिव्यक्ति बनो'
मिथ्या अभिकथन राजनीती बंद हो,
मिथ्या अभिकरण राजनीति बंद हो॥