मिलन की आस फलीभूत हुई
मिलन की आस फलीभूत हुई
आशा जो मैंने रखी थी तुमसे मिलने की
वह इतनी जल्दी होगी पूरी
मैंने सोचा नहीं था।
दिवाली से चालू होकर जिस तरह हमारी दिवाली सुधारी।
जिस तरह तुम तीनो भाई बहनों ने अलग-अलग जगह से आकर
हमको आश्चर्यचकित कर दिया कर एक साथ आकर।
हमारी आशा पूरी हुई हम तृप्त हो गए।
मन में आशाएं ऐसे ही जगी रहती हैं।
जब पूरी हो जाए तो मन तृप्त हो जाता है ।
समय भले कम था मगर यादें जिंदगी भर की संजो गए।
बड़े नाती नातिन के साथ सब आएऔर मन को लुभा गये
और यह विश्वास दिला गये
हमारी एक आवाज पर तुम हमारे पास होंगे।
हमें और क्या चाहिए।
तुम्हारा साथ चाहिए।
पास रहो या दूर अगर तुम्हारा साथ हमेशा रहता है तो अच्छा लगता है।
मन एक विश्वास से भर जाता है।
मन से यह दुआ निकलती है हमेशा जीवता रहे जो जगमा
कांटो नहीं भागे थाना पगमा ।
मतलब तुम हमेशा इस जग में जिंदा रहना और तुम्हारे पांव में कभी कांटा भी नहीं चुभे, कभी तुमको कोई तकलीफ ना आए हमारा आशीर्वाद है।
ऐसी ही आशा भाई साहब मिलने की
शादी में जाने के नाम से फलीभूत हुई।
पूरे 6 साल बाद भाई साहब से मिलकर मन बहुत खुश हो गया मिलने की आशा हमारी वापस मिलने की आस बन गई।
लगा जब हम दिल से याद करते हैं तो मिलना हो ही जाता है
वापस मिलने की आस जगा ही जाता है
आशा अमर है यह समझा ही जाता है।