मिलजुल कर रहना
मिलजुल कर रहना
जब दुश्वारियाँ चरम पर हों
विश्वास का संकट हो
अराजकता की सत्ता हो
हिंसा ने समाज मे स्थान पा लिया हो
एक दूसरे को नफरत से देखने का चलन हो
नियम कानून का कोई मायने न हों
ऐसे में समाज को
और जीवन को बचाये रखने का
एक ही सूत्र है
और वो हैं
हम सकारात्मक रहे और
एक दूसरे का सहयोग करें।
