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AVINASH KUMAR

Abstract

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AVINASH KUMAR

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मिलेंगे हम उसी मोड़ पे

मिलेंगे हम उसी मोड़ पे

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तूफ़ान के हालात है ना किसी सफर में रहो

पंछियों से है गुज़ारिश अपने शजर में रहो


ईद के चाँद हो घरवालो के लिए

ये उनकी खुशकिस्मती है उनकी नज़र में रहो


माना बंजारों की तरह घूमे हो डगर डगर

वक़्त का तक़ाज़ा है अपने ही शहर में रहो


तुम ने खाक़ छानी है हर गली चौबारे की

थोड़े दिन की तो बात है अपने घर में रहो


ये कौन गया है मेरा दिल तोड़ के 

मैंने प्यार किया था जिसे समुंदर निचोड़ के 


पछताओगे जानेजाना मुझे छोड़ के 

लौटोगे तो मिलेंगे हम उसी मोड़ पे।


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