मिले न मिले तुम्हें राह
मिले न मिले तुम्हें राह


मिले न मिले तुम्हें राह,
तुम्हें मंज़िल तक फिर भी जाना है
लौटकर मत देखना राही
अब लौटकर तुम्हें नहीं आना है।
तुम्हें पुकारता है वो आसमान
तुम्हें खुद अपना रास्ता बनाना है
तुम ऐसे ऐसे पूल का निर्माण करना
जिसपर हर सपना सुहाना है।
मिले न मिले तुम्हें राह,
तुम्हें मंज़िल तक फिर भी जाना है
तुम्हें आँखें खुली रखनी होंगी
एक पल भी नज़र नहीं खो जाना है
तुम्हें हर तूफानों अड़चनों से लड़कर
अपना जीवन साकार बनाना है।
मिले न मिले तुम्हें राह,
मंज़िल तक फिर भी जाना है