महोत्सव
महोत्सव
रोजमर्रा के जीवन में अनेक रंग भरने आते है
हमें हमारे अपनों के दिलों तक पहुँचाते है
बेरंगी दुनिया को सतरंगी कर जाते है
हाँ ये महोत्सव ही है जो हमें खुशियों से भर जाते है
मन पे रंग चढ़ता प्रेम का होली में
भाई बहन का प्यार दिखता राखी में
पति पत्नी का अटूट प्रेम करवा चौथ में
असत्य की सत्य पर जीत का उत्सव दशहरा में
दीयों से जगमग रौशन होती दुनिया दीवाली में
ये उत्सव ना होते तो फीकी सी लगती दुनिया
पास या दूर रहकर महसूस ना होते रिश्ते
किसी भी उत्सव में जब मन से मन मिलता है
तो वो महोत्सव बन जाता है ......
वैसे ही जैसे जब राधा कृष्ण का रास होता है
जैसे सीता राम का सुखद स्वयंवर होता है
जब बारिश की बुंदे तन पर पड़ती हैं
तब मन का मोर नाचने लगता है
और जीवन में हर क्षण महसूस होता है
उमंग, उल्लास जैसे प्रकृति में छाया हो उत्सव
ये धरा भी प्रफुल्लित हो जाती है
जब अम्बर प्रेम रस बरसाता है
जब मिलन का मधुमास आता है
हल्की ठिठुरन में जब गरमाहट लिए
प्रियतम का प्रेम भरा एहसास आता है
बस महसूस कीजिये हर पल हर क्षण
उस प्रकृति को, उस उत्सव को जो
ईश्वर ने हमें प्रेम रूप से प्रदान किये है
जीवन को एक महोत्सव की तरह व्यतीत करिए।