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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Tragedy

4  

वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Tragedy

महजब-( 43 )

महजब-( 43 )

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धरा धर्म पर टिकी हैं, 

धर्म सबसे बड़ा हैं, 

इंसान सब ऐक जैसे , 

ईश्वर सबका ऐक है, 

पर --------


धर्म के ठेकेदारों ने 

बना दिए धर्म अनेक, 

मजहब कभी नहीं लडाता आपस में, 

हर मजहब देता भाईचारे का संदेश, 

नहीं सिखाता आपसी वैर, 

धर्म के ठेकेदार लोगों को लडाकर, 


चला लेते है अपनी दुकान, 

मंदिर,मस्जिद और गुरुद्वारे के चक्कर में 

हम बन बैठे है ऐक -दूसरे के दुश्मन, 

हमसे तो अच्छे परिंन्दे चुगते दाना, 

कभी मंदिर तो कभी मस्जिद पर, 

हम तो इँसा थे ---------


क्या बनने आए थे और क्या बन गये ?

हम बँट गये धर्म मजहब के नाम !         


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