मेरी वसीयत..
मेरी वसीयत..
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मेरी ज़िंदगी के कई तराने,
इस क़िताब के कई अफ़साने,
अपने एहसासों से इन्हें लिखा है मैंने,
मेरी ये दास्तान दुनिया को सुना देना,
कुछ खुशियां तो होंगी,
उन्हें दुनिया के हवा में फ़ैला देना.
इस शमा को कुछ देर के लिए ही सही,
पर ख़ुशनुमा तो बना देना,
हाँ कुछ ग़म भी होंगे,
उन्हें किसी दरिया में बहा देना,
किसी के भी हिस्से में ना आ पाए वो,
उन्हें मेरे साथ ही जला देना..
कुछ ख़ाब रह गए होंगे मेरे अधखुले पलकों पर,
उन्हें किसी चाहत भरी पलकों पर सजा देना,
जिनकी तमन्ना हो कुछ कर गुजरने की,
उन्हें उनके साये से लगा देना...
मेरी यह दास्तान दुनिया को सुना देना..