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Devesh Tripathi

Romance Inspirational

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Devesh Tripathi

Romance Inspirational

मेरी तुम...

मेरी तुम...

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जब न संभलें बेचैन मन की हिलोरें,

टूटने लगें, जब ख्वाहिशों के धागे,

जब ख्वाब पिघल के, आँखों से झरने लगें,

जब खोने लगे, खुद का ही संसार,


तुम मेरे पास आना...

मैं सागर, 

अपनी लहरों के संगीत से, थामूंगा,

तुम्हारे मन की हिलोरें।

छू के तलवों को,

सींचूंगा, तुम्हारी मुरझाई ख्वाहिशों को।

ओढ़ के उगते सूरज की लालिमा,

भर दूँगा, उन आंखों में,

कुछ नये सुनहले ख्वाब।

रात की नीरव चाँदनी में,

मैं सुनाऊंगा, तुमको तुम्हारी आवाज।।



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