समर
समर
किस विपदा से कहाँ मिलोगे,
भाग्य लिखेगा समर तुम्हारा…
ओस की बूंदे कहाँ मिलेंगी,
कहाँ मिलेगी सूखी धरती।
कहाँ खिलेंगे कोंपल सुख के,
दुख की ज्वाला कहाँ मिलेगी।
भाग्य लिखेगा समर तुम्हारा…
कहाँ मिलेंगे पथ के सहचर,
विरह की बरखा कहाँ मिलेगी।
कहाँ मिलेंगे स्वर्णिम मोती,
भूख की पीड़ा कहाँ मिलेगी।
भाग्य लिखेगा समर तुम्हारा…
प्रेम के उपवन कहाँ मिलेंगे,
कहाँ मिलेगा छल का मरूधर।
पन्ख, स्वप्न को कहाँ मिलेंगे,
कहाँ मिलेगा टूटा सा घर।
भाग्य लिखेगा समर तुम्हारा…
