मेरी सपनों की दुकान
मेरी सपनों की दुकान
आओ आओ आज मैंने सपनों की दुकान सजाई है।
सस्ते महंगे ऊंचे-नीचे सब तरह के सपनों की यहां भर पाई है।
बच्चों के लिए खिलौने के सपने हैं।
विद्यार्थियों के लिए कुछ बनने के सपने हैं।
युवाओं के लिए जीवन संजोने के सपने हैं।
हर तरह के यहां सपना मिल रहे हैं।
कोई सस्ते हैं कोई महंगे हैं हर सपने को पूरा करने के लिए
आपको पुरुषार्थ तो करना ही पड़ेगा।
तभी सपनों की उड़ान पूरी हो सकेगी
और सपने पूरे होंगे नहीं तो वह सपने अधूरे ही रह जाएंगे।
सपनों की दुकान में कोई मोल भाव नहीं है।
जिसको जो चाहिए वह सपने लेकर जाए।
और उनको पूरा करने का जिम्मा खुद अपने आप उठाएं।
और अपनी जिंदगी का भरथार वह खुद बन जाए।
अरे यह क्या देखते-देखते मेरी दुकान तो खाली हो गई
सारे सपने बिक गए आसपास में देखा तो दंग रह गई।
तब तक मैं नींद से जाग गई।
और सपनों की दुकान तो सपनों में ही रह गई।
मगर जाते-जाते यह संदेश दे गई की पुरुषार्थ करोगे तो
सफलता पाओगे और मुझे नींद से जगा गई।