मेरी स्मृति।
मेरी स्मृति।
आज भी आती है याद,
मुझे मेरी माँ ,
हर पल जीता हूं उसके साथ,
उसकी एक एक सीख,
दिमाग में बैठी है सटीक।
जब भी कोई समस्या आती,
बहुत प्रयत्न करने के
बाद भी न सुलझ पाती,
तो फिर माँ के बताए
फार्मूलों की बारी आती,
और कामयाबी तुरंत मिल जाती।
आज उसे दुनिया छोड़े,
दस साल हो गए,
फिर भी मैं बहुत हैरान हूं,
वो सब कैसे कर देती थी
आसानी से,
और माथे पे शिकन नहीं
डालती थी।
शायद इसीलिए ही माँ
का दर्जा है,
सबसे ऊंचा,
कोई नहीं ऐसा दूजा।
