मेरी पहचान
मेरी पहचान
शिकायत नहीं तुमसे कोई अब,
चाहे कितना भी व्यस्त रहो तुम,
कर ली है दोस्ती मैंने ,कागज़ और कलम से।
अकेले नहीं है अब,
ढेरों शब्द साथ चलते हैं।
दिल की कोठरी में बंद जज्बात,
अब पन्नों पर उड़ा करते हैं।
छोड़ दिया है भटकना इधर - उधर ,
तुम्हारी तलाश में अब।
नहीं इंतज़ार, कब देखोगे नजर उठाकर?
अपने व्यस्त जीवन से मेरी ओर तुम।
मिल गयी है मुझे राह अपनी,
एक दिन तुम्हारी तरह,
मेरी भी होगी पहचान अपनी।
किताब के पहले पृष्ठ पर होगा
लेखिका के रूप में मेरा नाम
हर कहानी बोलेगी जुबां मेरी।