जैसे पन्ने तुम किताब के यूँ ही पलट गये.... जैसे पन्ने तुम किताब के यूँ ही पलट गये....
हज़ार बार ये सफ़्हे किताब के पलटे। सिखाया माँ ने जो पोथी सिखा नहीं पाई। हज़ार बार ये सफ़्हे किताब के पलटे। सिखाया माँ ने जो पोथी सिखा नहीं पाई।
तो होंठों पे झूठी हँसी और आँखों में सैलाब लिए होते हे । तो होंठों पे झूठी हँसी और आँखों में सैलाब लिए होते हे ।
दिल की कोठरी में बंद जज्बात, अब पन्नों पर उड़ा करते हैं। दिल की कोठरी में बंद जज्बात, अब पन्नों पर उड़ा करते हैं।