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मेरी माँ

मेरी माँ

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जन्नत से भी सुहानी आँचल की छांव है जिसकी,

हर पल हर लम्हें में मीठी मीठी बात है जिसकी,

ऐसी सबसे न्यारी है वो,

ऐसी है वो मेरी माँ है वो।


ऊँगली थाम मैं जिसकी बचपन में चला,

जिसके साथ जीवन का हर लम्हा ढला,

मेरी हर अच्छाई की सौगात है वो,

ऐसी है वो मेरी माँ है वो।


भुला देती है हर दर्द को मेरी खातिर जो,

हमेशा मेरा साथ निभाती है जो,

धूप में ठंडी छाँव तो ठण्ड में गर्म हवाएँ है जो,

ऐसी है वो मेरी माँ है वो।


हर तकलीफ़ को मेरी समझा है उसने,

चुपचाप हर दर्द मेरे लिए सहा है उसने,

जो कभी टूटा तो उसने संभाला,

हर परेशानियों से मुझे उसने निकाला,

कैसे बताऊँ क्या-क्या मेरे लिए करती है वो,

ऐसी है वो मेरी माँ है वो।


डाँट देती है जब कुछ भी गलत करने जाता हूँ मैं,

मना लेती है जब कभी ख़फ़ा हो जाता हूँ मैं,

जो मैं हूँ तकलीफ़ में तो,

ज़मीन आसमां सब एक कर जाती है वो,

ऐसी है वो मेरी माँ है वो।


जब मै ग़लती करुँ तो मुझे प्यार से समझाती है,

ना होती ख़फ़ा और,

ना कभी मुझको अकेला बनाती है,

थोड़ी सख़्त है माँ मगर,

मुझे रब से भी ज़्यादा प्यारी है वो,

हर सुख-दुःख में साथी मेरी, सबसे दुलारी है वो,

ऐसी है वो मेरी माँ है वो।


आँचल में जिसकी दुनिया है मेरी,

जिसके लिए जान भी कुर्बान है मेरी,

सब कुछ जिसके लिए करना चाहता हूँ मैं,

जिसके लिए सारी खुशियां पाना चाहता हूँ मैं,

ऐसी है वो मेरी माँ है वो,

ऐसी है वो मेरी माँ है वो।


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