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Dimple Khari

Inspirational

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Dimple Khari

Inspirational

मेरी माँ...

मेरी माँ...

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माँ की ममता का कोई मोल नहीं,

माँ जैसा कोई अनमोल नहीं।

कभी सागर की गहराई सी,

कभी पर्वत की ऊंचाई सी।

कभी गंगा जैसी सुर सरिता,

सब वेंदो की है वो संहिता।

ऐसी हैं वो मेरी माँ...


जब आंच कोई मुझ पर आये,

बनकर ढाल खड़ी हो जाये।

एक चोट अगर मुझ को लगती,

मेरी पीड़ा में जां उसकी जलती।

अपनी ममता के आँचल में

वो मुझे छुपा कर रखती हैं,

न नजर लगे मुझ को जग की

वो मुझे बचा कर रखती हैं।

ऐसी हैं वो मेरी माँ…


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