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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract Children

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract Children

मेरी माँ

मेरी माँ

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मेरी मां तुमसे ही हैं मेरी सासें तुम से ही तन-मन चेतन।

तुम संग रक्त-मांस से मेरा नाता जीवन की डोर सृजन।


ममता से तेरी सुवासित मेरा शैशव व नन्हा बचपन।

तुम से जुड़ मेरी हर धड़कन बनती एक सुखद चमन।


दुनिया में प्यार भरा ये मां का रिश्ता करें इसको सभी नमन ।

और कोई न तुम सा फरिश्ता परिवार में बस तुमसे अमन।


शब्दों की गाथा में कहते हैं मां,पर हो तुम सृष्टिकर्ता भगवन।


तेरे दामन में टंके खुशियों की हरेक हंसी अमोल सौगात। 

तेरे दिल में छिपे अपने टुकड़े के लिये मधुर भाव जज्बात।


तू दूर कभी न मुझसे हो, छूटे न कभी तेरा-मेरा साथ।

आशीष सदा मेरे ऊपर रहे हर पल मेरे सर तेरा वरद हाथ। 


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