Meenakshi Kilawat

Abstract

4.8  

Meenakshi Kilawat

Abstract

मेरी कविता

मेरी कविता

1 min
379


मेरी कविता खुशनुमा महल

घुमती है डगर दर डगर

शबनमी रंगो की ओढ़े चुनर

मंडराती है ये नगर नगर।।


कविता है मेरी दिलोका स्पंदन

मदमस्त सपनो का है दर्पन

चाँद सितारो का मिलन

सुबह की सूरज की तपन।।


कविता सागर की लहरोमें

प्रेम भरे इजहारो में

नये नये शब्दो के जालो में

ये आसमानी सितारों में।।

  

कविता होती है जलजला

होती है हौसलौ भरा तुफान

बुलंद इरादो का ताजमहल  

देशकी गाथाका है यह गुनगान।। 


कविता बादलो की झुरमुट में

बरसती बरसाती बुंदो में

छोटी बातो में हँसी में रुलाई में

कोयल की चहक भरी बोली में।।  


कविता मेरी हरीभरी हरीयाली में

बागियाॅ की खुशबू बहारो में

सृजन और संवेदना में

दु:ख दर्द सच और झूट में।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract