मेरी खता
मेरी खता
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कैसे समझाऊँ मैं खुद को, ए खुदा।
उसे मना किया,उसमेँ मेरी क्या खता।
ऐसे ही किसी से प्यार नही होता।
और जिससे प्यार होता है,उसे ही नहीं पता।