सिर्फ तुम
सिर्फ तुम
सिर्फ तुम्हारे होने से,
मैं खुद को महफ़ूज समझने लगतीं हूँ
इस मतलब की दुनिया में
मैं भी मतलबी हो बन गयी हूँ ।
सिर्फ तुम्हारे होने से ही,
मेरे बातों का सिलसिला खत्म नहीं होता।
वरना मेरे होठों पे तो,
लफ्जों का जिक्र भी नहीं होता।
सिर्फ तुम्हारे होने से,
वक्त का पता भी नहीं चलता।
नहीं तो अकेले में,
ये वक्त काटने को है दौड़ता।
सिर्फ तुम्हारे होने से,
जिंदगी का आखिरी सफर खुशनुमा बनेगा।
वरना ए जिंदगी को,
मौत का ही इंतजार रहेगा।
सिर्फ तुम्हारे होने से,
घर जन्नत सा लगता हैं।
मैं कही पे भी जाऊँ।
तो, वापस घर आने का मन करता है।

