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Nitu Mathur

Classics

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Nitu Mathur

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मेरी हद

मेरी हद

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ना फिक्र में रहूं किसी के

ना जिक्र में शामिल कहीं

मैं राही अपनी राह की 

वाकिफ रहूं बंधी हद की,


अपनी ओज से बढूं आगे 

दखल बस अपनी मौज में

भीड़ से जुदा रहूं हरदम

क़दम रहें अपनी बस्ती में,


आभाव ना प्रभाव हो किसी का 

ना किसी की जोराजोरी

सादा सच्चा ईमान रहे

जज्बातों की ना हो चोरी।


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