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Kaustubh Vats

Romance

5.0  

Kaustubh Vats

Romance

मेरी दोस्त

मेरी दोस्त

1 min
245



वो बताती कभी नहीं इश्क़ अपना

पर जताती खूब है

वो मुझे दिखती भी नहीं इश्क़

अपना

पर चाहती खूब है


वो डरती है अपना मन खोलने से

पर मुझे अपना मानती ज़रूर है

वो देख के मुझे कुछ कहती नहीं

अक्सर

पर मुस्कुराती ज़रूर है


वो घबराती ज़रूर है मेरा हाथ

पकड़ने से

पर मेरे दिल को समझती

बहुत खूब है

वो रूठ जाती है कभी कभी

मुझ से

पर मैं रूठूं तो मुझे मनाती

बहुत खूब है


वो मुझे देखती है फिर अन-देखा

करती है हर रोज़

पर पीछे मुड़कर फिर हँसती

ज़रूर है

वो दस्तक देती है मेरे दिल पर

हर रोज़

पर अपना इश्क़ छिपाती

बहुत खूब है..


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