तेरा इश्क़
तेरा इश्क़
मुसलसल मुलाकातों का तराना अब भी गूंजता है दिल में
जीने के लिए तू ज़रूरी है और जीने भी तू देती नहीं
लोग कहते है दोबारा मोहब्बत ढूंढ लो हजारों हसीं चेहरे मौजूद है
पर में कैसे समझाऊं उनको कि तू मेरे दिल से निकलती ही नहीं
मौत और मोहब्बत का मिज़ाज़ भी कुछ मिलता जुलता सा है
अब एक बार मर चुका हूं अब दोबारा मौत आती ही नहीं
मैकदों में आशिकों कि भीड़ आज भी मौजूद है लेकिन
तेरी आंखो के दो घूंट का नशा कभी उतरता ही नहीं
हर शाम मेरी आंखे नम हो जाती है क्यूंकि तेरी याद मेरे पास चली आती है
पर तेरी नफरत में भी वफ़ादारी इतनी है कि तू लौट कर वापस कभी आती ही नहीं