मेरी धड़कन कि ख़ामोशी !
मेरी धड़कन कि ख़ामोशी !
उसने ज़ब कभी
तन्हाई में,
घुट-घुट कर
आँसू बहाया होगा
ऐसे आलम में
उसे मेरा प्यार,
जरूर
याद आया होगा
वो खामोश हैं
शायद इसलिए,
मेरी यादों का चिता
जलाया होगा
उसके चेहरे कि
मासूमियत पे,
लाखों ने दिल
लुटाया होगा
ये जो मीठी-मीठी
मुस्कान हैं,
उसके चेहरे पर,
ये भी उसकी नहीं,
किसी औऱ का
चुराया होगा !
बेवफा का दामन
थामे बैठें हैं,
हम कब से,
पता करो यारों
उसे भी बेरुखी ने
सताया होगा
उजड़े चमन में
ढूंढ़ रहे हैं अमन हम,
ऐ खुदा उसे भी
मेरे धड़कन कि ख़ामोशी
तो सुनाया होगा
उसने ज़ब कभी
तन्हाई में,
घुट-घुट कर
आँसू बहाया होगा !

