मेरी ढाई साल की भांजी
मेरी ढाई साल की भांजी
मेरी ढ़ाई साल की भांजी
जो पुरे घर में मस्ती में घुमा करती है
अपनी ही धुन में दिनभर झूमा करती है
वो हँसती है, खिलखिलाती है
सबको अपने बचपन की याद दिलाती है,
नयी नयी चीजे पाने पर जो
शर्माती है, इठलाती है
नए नए रंग दिखती है
सुबह देर तक सोती रहती
देर रात तक जगती है,
एक अकेली हम सब को, अपने बस में करके रखती है
कोमल है वो चंचल है परियो जैसा रूप है
मेरे जीवन की सारी खुशियों का वही स्वरूप् है
माना की थोड़ी नटखट है पर प्यारी है
अपने मामा के संग, एक अलग सी उसकी यारी है
जब कोई उसको डांटे , सुबक-सुबक कर रोती है
नींद लगे जब भी उसको, मेरे ही कंधो पर सोती है
जो दिन भर घर की चीजे यहाँ वहाँ बिखेरना चाहती है
वो तो बस मेरे साथ कुछ देर खेलना चाहती है,
मेरा मोबाइल, मेरी लैपी उसके खेल खिलौने है
मेरी सारी की सारी चीजो पर उसके अधिकार होने है
अपनी मन की बातें अनोखे इशारो में बतलाती है
जब भी उसका मन करता किसी को भी घूमने ले जाती है
थोड़ी सी जिद्दी, थोड़ी नटखट, पर समझदारी की पूड़ियां है
मेरे घर में घुमा करती, वो हँसती खेलती गुड़ियाँ है ,
शीतल
ठंडी हवा की तरह
वो है मेरे हर मर्ज़ की दावा की तरह
हमारे ज़िन्दगी में फैला उजाला है
गमो को रोकने वाला ताला है
आइसक्रीम, नमकीन, समोसे और चॉकलेट
वो ये सारी चीजे दिन भर नही खाना चाहती है
वो तो बस नाना/मामा के संग गाड़ी पर जाना चाहती है ,
कभी कभी मेरे मन में एक ख्याल आता है
अपने साथ एक सवाल लाता है
क्या सारी बच्चियां ऐसी ही होती है इतनी ही प्यारी सी
अपने अपने घर में घरवालो की राजकुमारी सी
अकेला उसको छोड़ कर बहार कही पर जाना ,
दिल में चुभन सा होता है
जल्दी घर आने में भी तो, एक प्रलोभन सा होता है
जो मेरी मज़बूरियों को आसानी से झेल जाती है
मेरे या नाना के ना रहने पर गुड्डे-गुड़ियों से खेल जाती है
याद है उसको ट्विंकल-ट्विंकल, जॉनी-जॉनी और मछली जल की रानी है
क्या क्या लिख दूँ उसकी खातिर, उसकी तो लाखों कहानी है
दुनियादारी, मज़बूरी की सारी बाते दुस्वार सा लगता है
उससे एक पल को भी दूर रहना,दिल को भारी-भारी सा लगता है
उस वक्त सारी दुनिया मेरे बाहों में सिमट जाती है
दौड़ कर आ कर जब वो मुझसे लिपट जाती है ,
चाहे रहूँ जहाँ भी संग में मेरे वो एक अहसास सी है
मेरी और हम सब की ज़िन्दगी के लिए सबसे खास सी है।।