मेरी अस्मत
मेरी अस्मत
कानूनी किताबों में ही रह गया मेरी अस्मत
बेचते खरीदते कई रूप में
एक पन्ना लिखा गया हर युग में
मोल होता तौल होता
मुझे देख नियत डांवाडोल होता
कोई और जन्म देता कोई लिखता मेरी किस्मत
कानून किताबों में ही रह गया मेरी अस्मत
दांव पेंच दुनियां का देख लो
चलो एक किताब लिख लो
कांटों भरी राह में, मैं आगे बढ़ रही हूं
अंधेरी कोठरी में मैं भविष्य गढ़ रही हूं
मिट्टी का मैं एक लोई बाबुजी
खेलो, रौंदो ,रखो मुझे काबू जी
मैं भीगी हूं आंसुओं के प्रसार में
क्या मेरा हक नहीं इस संसार में।