मेरे सपने
मेरे सपने
कभी जीते थे हम किसी और के लिए,
कभी मरते भी थे किसी और के लिए,
अब करवट शायद बदल रही है,
हवाओं ने भी रुख मोड़ लिया है,
अब खुल के जीने का मौसम है आया,
खुद पर तव्वजो देने का सेहर है आया,
अब बीती जो बातें वो भूल गया हूँ,
अपने अंतर्मन में खुश हो रहा हूँ,
देखे जो सपने वो तलाश रहा हूँ,
खुल के अपने लिये जी रहा हूँ।
