मेरे सिवाय घर में कोई दूसरा होगा तो
मेरे सिवाय घर में कोई दूसरा होगा तो
जिंदगी
कभी किसी को
एक ऐसे मोड़ पर लाकर भी खड़ा कर देती है
जहां पलटकर देखने पर कुछ नहीं दिखता
एक धुएं का गुबार सा ही चारों तरफ फैला
दिखता है
मंजिल एक खाली कुएं सी होती है और
ऐसा महसूस होता है जैसे कि
एक खालीपन
एक सूनापन
एक वीराना फैला हो
हर सू और
लटके खाली हाथ देखकर लगता है कि
कोई कुछ भी कर ले लेकिन
कभी किसी के हाथ कुछ लगता नहीं
जिंदगी लेकिन यहां खत्म नहीं होती
उसे तो अभी आगे बढ़ना है
चलना है
मंजिल सामने कोई न भी हो तो भी
पैर के नीचे जो रास्ता है
उस पर से होकर तो गुजरना है
इतनी उम्र गुजरी
अब भी दुनिया का सच नहीं
जाना तो फिर कब
जानेगा यह दिल मेरा
किसी का तो साथ चाहिए
अब आगे का सफर तय करने के लिए
परछाइयां, साये, चेहरे, कदम,
रूहानी अहसास
यह सब बातें कहने सुनने में,
शेरो शायरी में अच्छी लगती हैं
जिंदगी का सामना कोई अकेले करे तो
भला कैसे करे
उम्र जैसे जैसे गुजरती है
यौवन भी तो ढलेगा
यह जिस्म, दिल, दिमाग,
मेरे पुलिंदे का पुर्जा पुर्जा
ढीला और कमजोर पड़ेगा
अब सोचती हूं कि किसी पशु या
पक्षी को पाल लूं लेकिन किसे
शायद उसे जिसकी
जिम्मेदारी भी उठा पाऊं
मेरे सिवाय घर में कोई दूसरा होगा तो
मेरा कुछ तो मन लगेगा
कुछ तो समय कटेगा
कुछ तो जीने का उद्देश्य मिलेगा
पशु या पक्षी पालतू न भी हो
तब भी बिना कोई हानि पहुंचाये
किसी मनुष्य का दिल तो बहुत
लगाते हैं
उसका मन बहलाते हैं
उससे निस्वार्थ भाव से प्रेम करते हैं
पशु या पक्षी
इनकी इच्छायें हैं सीमित
जैसा रखो वैसे रह लेते हैं
जो खाने को मिल जाये
वह खा लेते हैं
इनकी कोई देखरेख करने वाला
इन्हें मिल जाये तो
कितने खुश हो लेते हैं
बिना भाषा के ही इनके
आंखों के संवाद में होती है
एक सागर सी ही प्रेम भरी गहराई
कोई इन्हें एक बार अपनाकर तो देखे
अपनापन क्या होता
इसकी सीख यह बेजुबान पशु और
पक्षी ही तो किसी मनुष्य जाति को देते हैं।