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Hazra Shaikh

Romance

5.0  

Hazra Shaikh

Romance

मेरे जज़्बात

मेरे जज़्बात

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अधूरी ज़िन्दगी में थोड़े बाकी हैं हम 

थोड़ी है खुशियाँ और ज़्यादा है ग़म। 


अन्दाज़-ए-बयाँ हम होंठो से ना कह सके तो 

दिल ने कलम का सहारा ले लिया। 


मेरी आवाज़ आज मेरे

कलम की स्याही बन गई 

अल्फाज़ों को बिखेरा पन्नों पर

इस क़दर की कहानी बन गई। 


कागज़ के हर पन्नों पर

लिखे जज़्बात है 

इसे रूह (आत्मा) से महसूस कर

ये रूह (आत्मा) के अल्फाज़ है। 


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