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Rohit jay hind

Romance

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Rohit jay hind

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मेरे जिंदगी के ऋतु

मेरे जिंदगी के ऋतु

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बारिश कि पहली बुंद जैसे 

बसंत कि बहार जैसे,

खिलते फुल की कली 

नजराे में काजल जैसे, 

मेरे जिंदगी के ऋतु।


हेमंत कि गुलाबी ठंडी 

प्यार भरी वाे चाय,

एक प्याला बाटकर पीते ,

मेरी जिंदगी के ऋतु।


चॉद का तुकडा था 

जिसके माथे कि बिंदी, 

चॉद से भी खूबसूरत है वाे

मेरी जिंदगी की ऋतु।


इस गर्मियों के प्रहार में,

बारिश के बुखार में

सर्दियों के झंकार में, 

जाने कहा खाे गये,

मेंरे जिंदगी के ऋतु।


ढूंढता फिर रहा हूँ इस संसार में,

किसी माेड़,किसी राह में

फिर से मिल जा ये मुझे वाे,

मेरी जिंदगी की ऋतु।


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