मेरे जीवन की वो किताब हो तुम.....
मेरे जीवन की वो किताब हो तुम.....
मेरे जीवन की वो किताब हो तुम,
जिसको रोजाना मैं पढ़ती हूँ।
चुनती हूँ कुछ ऐसा उसमें से,
जीवन में सुचारू उसको करती हूँ।
मेरे जीवन की वो किताब हो तुम,
जिसको रोजाना में पढ़ती हूँ।
मेरे मन की वो अरदास हो तुम,
जिसको रोजाना मैं करती हूँ।
मेरे जीवन की वो किताब हो तुम,
जिसको रोजाना में पढ़ती हूँ।
मेरे दिल में बसी वो सूरत हो तुम,
जिसको हर पल याद मैं करती हूँ।
मेरे जीवन की वो किताब हो तुम,
जिसको रोजाना में पढ़ती हूँ।
कैसे मैं कहूँ, मेरा प्रेम हो तुम,
जिसे दिल से मैं चाहती हूँ।
मेरे जीवन की वो किताब हो तुम,
जिसको रोजाना मैं पढ़ती हूँ।
इस शरीर की आत्मा हो तुम,
जिसमें हर पल आहें मैं भरती हूँ।
मेरे जीवन की वो किताब हो तुम,
जिसको रोजाना में पढ़ती हूँ।