मेरे हुजूर...
मेरे हुजूर...
किसी ने हमें
अपना बनाकर
न जाने किस मोड़ पर
पराया कर दिया।
इस बेनसिब दिल को,
फिर से बेसहारा कर दिया।
यू तो आँधियों में भी जलते हैं,
चिराग किसी किसी के।
हमारे चिरागों को,
दिवाली भी
नशीब न हो सकी।
किन लब्जो में अदा करूँ,
शुक्रिया तेरा ,मेरे हुजूर
मेरे नसीब को
बदलने से बदल दिया।
बहुत गुरुर था हमे,
हम तकदीर बदल सकते हैं,
इसका ,
कि तकदीर ने आप से ,
मुलाकात कर दियी।
इस दिल को अगर चाहत है ,
खुशियों कि
दिल ने फिर आसूओकें दिये
जलाने शुरू किये ।
मासूम सी जिंदगी के ,
तराने शुरु किये ...!
हमने फिर दिवाली के जशन,
मनाने शुरू किये।
बहुत दर्द होता है,
इस एहसास से।
आप तो शायद
हमसें भी कम नसीब निकले।
हमे तो किसी पराये से
शिकायत थी।
मगर
आपको अपनों को
अपनाना नसीब ना हुआ।
आपको अपनों को
अपनाना नसीब ना हुआ।