मेरे अन्दर एक आग जल रही है
मेरे अन्दर एक आग जल रही है
मेरे अन्दर एक आग जल रही है
रोज ये आग मुझे झुलसा जाती है
और मैं बाहर खड़ा यह सोचता हुँ
की कहीं ये आग मुझे
एक दिन जला न दे
डरता हूँ इसलिए नहीं कि
मुझे मरने से भय लगता है,
या मुझे आग से नफरत हो गई है
बल्कि इसलिए की शायद
मैं दुनिया की बातों
को समझ न पाऊँगा,
सच क्या है कभी
यह जान न पाऊँगा,
पानी के स्पर्श से
मैं वंचित रह जाऊँगा,
आग और पानी के मिलन
को कभी देख न पाऊँगा।
