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Arunima Bahadur

Inspirational

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Arunima Bahadur

Inspirational

मेरा वजूद

मेरा वजूद

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बस चले गए,

कहीं तुम चले गए,

छोड़ कर ये सूनी रातें ,

कुछ अधूरी अधूरी बातें

बस तुम चले गए,

न सोचा कि किस हाल में अपने,

जिन्हें कभी दिखाए सपने,

छोड़ अधूरे अधूरे सपने,

बस तुम चले गए,

दूर किसी परदेश,

बस तुम चले गए,

लौट कर फिर आओगे,

वादे कुछ फिर दोहराओगे

पर न झांसे में आऊँगी,

अपनी राह मैं बनाऊँगी,

चलना मुझे अकेले हैं,

हर तूफान, हर शूलों में,

पग बस बढ़ाना है, 

हर शूलों से टकराना हैं,

हूँ, मैं नवयुग की नारी,

अकेली हूँ पर अबला नहीं,

छल सकता कोई अब बाजीगर नही,

मैं नही अधूरी तुम्हारे बिना,

बस तुम ही अधूरे हो,

खोजते हो अवसाद का हल,

एक नारी की ही देह में,

न छूने देगी नारी,

अपनी पवन देह को,

न विचार,न कोई व्यवहार

अब नारी को छल पायेगा,

है स्वतंत्र अस्तित्व मेरा,

मैं कोई सामान नही,

आज खेला, कल तजा,

ये तुझको अधिकार नही,

चल रही आज हर नारी,

अकेली ही शूलों पर,

भूल कर पीड़ा सारी,

संस्कृति के फूलों पर,

जीत जाएगी हर जंग ही नारी,

पड़ कर कष्टो पर भारी,

हर रावण ही मिटा,

संस्कृति की सीता आएगी,

कर अपना उत्थान,

महानता के गीत गायेगी।।



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