छोड़ कर संग इसका क्यों ना तुम खुद को जीवन प्रदान करो। छोड़ कर संग इसका क्यों ना तुम खुद को जीवन प्रदान करो।
नारीत्व की महानता का सम्मान बढ़ाती है। नारीत्व की महानता का सम्मान बढ़ाती है।
बस चले गए, कहीं तुम चले गए, छोड़ कर ये सूनी रातें , कुछ अधूरी अधूरी बातें ! बस चले गए, कहीं तुम चले गए, छोड़ कर ये सूनी रातें , कुछ अधूरी अधूरी बाते...
अपना जीवन साहित्य साधना में समर्पित कर दिया अपना जीवन साहित्य साधना में समर्पित कर दिया
फिर भी देते हैं पृथ्वी को जल फिर भी देते हैं पृथ्वी को जल
तो तू भी है मेरे चारों धाम। माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम।। तो तू भी है मेरे चारों धाम। माँ तुझे सलाम, माँ तुझे सलाम।।